कोई कहता है तुझे दादी जैसी
कोई कहता है तुझे पापा जैसी
पर मैं बोलूं तू है मुझ जैसी
वही शरारातें, वही हठीलापन
वही मुस्कुराहट, वही लड़कपन
वही गुस्सा वही नाराज़गी
वही आडया, वही ताज़गी
तुझमे देखती हूँ खुदको
तुझमे पाती हूँ बचपन को
हैरान भी होती हूँ कभी
देखके तेरी नौटंकी दबी दबी
उफ्फ ये तेरा नखरा
तेरा ढंग है वखरा
तू जान है मेरी
तू जहाँ है मेरा
पर होगी जब बड़ी तू
पूछेगी कई सवाल तू
कोशिश होगी मेरी
पूरी हो हर ख्वाइश तेरी
बातें तू बनाएगी
रोज़ नये किससे तू सुनाएगी
कभी इस सहेली की बात
तो कभी उस दोस्त की बात
तुझसे ही शुरुआत
होगी हर बात
तू जान है मेरी
तू जहाँ है मेरा
बालिग होगी तू
कॉलेज जाएगी तू
नये नये लोग मिलेंगे
नये नये दोस्त बनेंगे
पर तू अपनी राह ना भटकना
तू किसी पर युहीन भरोसा ना करना
है बड़ी ज़ालिम ये दुनिया
तू तो मेरी नन्ही सी गुड़िया
बनाना नये दोस्त तू
घूमना फिरना चाहे तू
पर रहे ध्यान एक बात का
मा को पता हो हर बात का
बन जाऊंगी तेरी सहेली
रहे हम दोनो में न कोई पहेली
तू जान है मेरी
तू जहाँ है मेरा
होगा तेरा ब्याह जब
रुआसे हो जाएँगे सब
मैं हो जाऊंगी एकदम अकेली
फिर ना होगी मेरे संग सहेली
कैसे रखूँगी ध्यान तेरा
कौन पूछेगा हाल मेरा
तेरी अपनी दुनिया होगी
मेरी कहाँ उसमे पहचान होगी
दुआ करूँगी हर पल यही
मिले तुझे जो है सही
तेरी खुशियों को ना लगे नज़र कभी
तेरी दुनिया में ना आए गम कभी
तू जान है मेरी
तू जहाँ है मेरा