Ma Beti ka Rishta

Ma Beti ka Rishta

कहते हैं बाप बेटी का रिश्ता अनमोल है

कौन जनता है माँ के लिए बेटी का क्या मोल होता है

बाबुल का प्यार बाबुल का दर्द बस यही सुनते हैं

माँ के दर्द को कोई क्यों नही समझता है

अपनी परछाई देखती है बेटी में वो

अपने हिस्से की खुशियाँ वार्ती है वो

कभी किसीसे नही कहती पर बेटी के लिए डरती भी है वो

जुदाई का वो दर्द सबसे ज़्यादा माँ ही तो जानती है

कहते हैं बेटी खुशियों की बहार लाती है

तो जाते जाते घम का सैलाब भी दे जाती है

कोई नही जनता माँ के दिल का वो दर्द जब बेटी नाराज़ हो जाती है

नाज़ुक फूल की तरह जिसे सींचा वो एक दिन पराई हो जाती है

काश खुदा ने बेटियों को पराया नही अपना बनाया होता

काश ये कन्यदान नही कन्या विवाह का रिवाज़ होता

बस यही एक आवाज़ है हर माँ के दिल की

बेटी रहे जहाँ भी सारी खुशियाँ हो उसकी

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